Monday, February 27, 2012

अफज़ल को फांसी देने के पक्ष में नेशनल कॉन्फ्रेंस

भारत प्रशासित जम्मू और कश्मीर राज्य की सत्ताधारी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कश्मीरी चरमपंथी अफज़ल गुरू को फांसी दिए जाने की वकालत की है.

अफज़ल गुरू को 13 दिसंबर साल 2001 में भारत की संसद पर हुए हमले में उनकी भूमिका के लिए फांसी की सज़ा सुनाई गई है. अफज़ल गुरू की माफी याचिका पर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को फैसला लेना है.

नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फ़ारूख अब्दुल्लाह ने कहा, “एक भारतीय होने के नाते मुझे लगता है कि अगर किसी ने देश के खिलाफ कोई काम किया है तो उसे उपयुक्त सज़ा मिलनी चाहिए. लेकिन उनकी क्षमा याचिका भारत की राष्ट्रपति के पास लंबित है तो उन्हें ही इस पर फैसला करना है.”

फ़ारूख अब्दुल्लाह का ये ताज़ा बयान उनके पुत्र और राज्य के मुख्य मंत्री अमर अब्दुल्लाह के पूर्व में दिए गए बयान से मेल नहीं खाता है. उमर चाहते है कि गुरू की याचिका पर विचार किया जाना चाहिए.

जम्मू और कश्मीर की विधानसभा के एक सदस्य अब्दुल राशिद अफ़ज़ल गुरू को माफी दिए जाने के पक्ष में लगातार प्रस्ताव दे रहें है, हालांकि सदन के स्पीकर ने इन प्रस्तावों को चर्चा के लिए अभी तक कबूल नहीं किया है.
निर्दलीय विधायक अब्दुल राशिद ने कहा, “मैने एक बार फिर से प्रस्ताव आगे बढ़ाया है, देखते है कि इस बार सत्ताधारी पार्टी और अन्य इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं.”

क्षमा याचिका

“एक भारतीय होने के नाते मुझे लगता है कि अगर किसी ने देश के खिलाफ कोई काम किया है तो उसे उपयुक्त सज़ा मिलनी चाहिए. लेकिन उनकी क्षमा याचिका भारत की राष्ट्रपति के पास लंबित है तो उन्हें ही इस पर फैसला करना है.”
फ़ारूख अब्दुल्लाह, कैबिनेट मंत्री

उमर अब्दुल्लाह ने इस मामले पर तमिलनाडू का उदाहरण देकर पहले ही विवाद को हवा दे दी है. तमिलनाडू की विधानसभा में सत्ताधारी पार्टी ने पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी की हत्या के दोषियों को क्षमा दिए जाने के पक्ष में एक प्रस्ताव पारित किया है.

हालांकि प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के मंत्रीमंडल के सदस्य फ़ारूख़ अब्दुल्लाह ने अफ़ज़ल गुरु को फांसी दिए जाने का पक्ष लिया है.
उन्होंने कहा, “हम सब भारतीय है और हमें इस सच्चाई को भूलना नहीं चाहिए.”

अफ़ज़ल गुरू को फांसी दिए जाने के अदालती आदेश के बाद कश्मीर के कई हिस्सों में विरोध-प्रदर्शन हुए थे. कश्मीरी अलगाववादी गुट और कई नागरिक संगठन पिछले कई सालों से ‘सेव गुरू’ अभियान चला रहें है.

पूर्व में चरमपंथियों के कमांडर रहे अलगाववादी नेता मुहम्मद यासीन मलिक ने अफ़ज़ल गुरु को फांसी दिए जाने की सूरत में ‘गंभीर परिणाम’ भुगतने की धमकी दी है.

मलिक ने बीबीसी से कहा, “साल 1984 में जब मक़बूल भट्ट को फांसी दी गई थी तो युवा भड़क कर हिंसक हो गए थे. काफी समय बाद हमें दिखा है कि वो अशांतिपूर्ण माहौल से शांति की तरफ बढ़ रहे है. अगर गुरू को फांसी दी गई तो एक बार फिर पहले जैसा हिंसक माहौल बन सकता है.”
 
रियाज़ मसरूर
बीबीसी संवाददाता, श्रीनगर
शनिवार, 25 फ़रवरी, 2012


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